पुरुषों में शीघ्रपतन एक आम समस्या है। आजकल के युवाओं में भी से समस्या आम हो गई है। पटियाला की जसलीन हमारी एक्सपर्ट बबली आंटी को अपनी समस्या बताते हुए लिखती हैं कि मेरे ब्वॉयफ्रेंड को शीघ्रपतन हो जाता है। उसे सेक्स के बाद बुरा लगता है और शर्म आती है। मैं उसे कुछ कहती नहीं लेकिन सच यही है की मैं भी इस बात से खुश नहीं हूं। क्या मैं इस बारे में कुछ कर सकती हूं?

आंटीजी कहती हैं...ओह हो पुत्तर, ये समस्या सिर्फ तेरे ब्वॉयफ्रेंड की नहीं है। मुझे तो लगता है देश के आधे से मर्द इस समस्या का शिकार हैं। आज का कॉलम उन सभी प्रेमी मर्दों को समर्पित हैं जिनका कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया।

तो मेरी प्यारी जसलीन और बाकी सब लड़कियों, सबसे पहले तो इसे अपनी तारीफ ही समझों की तुम्हारे आकर्षण के सामने वो ज़्यादा देर डट नहीं पाता।

मुझे मालूम है तुम सब सोच रही होगी की क्या आंटीजी, चूल्हे में जाये ऐसा आकर्षण, लेकिन मेरी बच्चियों, इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता की शीघ्रपतन का कारण पुरुषों के अतिरिक्त सेक्स उत्तेजित होने से होता है और इसका कारण कहीं न कहीं तुम्हारे आकर्षक होने से ज़रूर जुड़ा हुआ है।

अब असल में समस्या ये है की 'शीघ्रपतन' होने वाले व्यक्ति पर सेक्स से जुडी अपेक्षाएं कुछ ज़्यादा होती हैं, वो उनका निर्वाह नहीं कर पता और अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद और ज़्यादा नुकसानदायक साबित होती है।

पुरुष स्वार्थी बनकर ये सोच सकता है कि 'चलो छोडो, मेरा काम तो हो गया', या फिर 'ये मेरी ड्यूटी थोड़ी है'। ड्यूटी है हीरो, बिलकुल ड्यूटी है। याद रखो जब सेक्स दो लोग कर रहे हैं तो फिर उसका नतीजा भी कुछ ऐसा ही होना चाहिए की दोनों लोग संतुष्ट हो पाएं, नाकि सिर्फ 'कुछ पल वाला शहंशाह'!

सेक्स का मज़ा, लड़कों के बराबर लड़कियों का भी हक़ है। और इसकी चाह रखना तुम लड़कियों को कोई चरित्रहीन नहीं बना देता। तो अगर तुम्हारे लड़के को तुम्हारे सेक्स के मज़े से मतलब नहीं है, तो शायद तुमसे भी कुछ ख़ास मतलब नहीं होगा। ऐसे लड़के को बाहर का रास्ता दिखाओ।

माफियां..अगली बार..और ऐसी ही बकवास..'माफ़ करना जानू मैं रोक नहीं पाया',या 'बेबी तुम हो ही इतनी सेक्सी की मुझसे कंट्रोल नहीं होता', या फिर 'सॉरी जानू, लेकिन तुम्हे कुछ ज़्यादा ही समय लगता है...' और ये सब सुनकर तुम लड़कियां शांत हो जाती हो, कहीं उसकी मर्दानगी को ठेस न लग जाये।. "कोई नहीं जानू, अगली बार"। ये अगली बार कुछ नहीं होता मेरी लड़कियों! जो है अब है, यहीं है।

तो आखिर मिस्टर क्या कर सकता है? अगर चाहे तो काफी कुछ! अक्सर पुरुष समझते हैं की ये कोई बीमारी है। खोती हुई मर्दानगी से निराश होकर कुछ तो आत्म हत्या के बारे में भी सोच बैठते हैं। पागलपन, है न?

इस समस्या के समाधान के लिए कई रास्ते हैं। उसे ये रास्ते आज़माने के लिए कहो, जैसे की रुक-रुक कर, या कंडोम का प्रयोग। सब एक साथ नहीं लेकिन करके देखो की कौनसा रास्ता असरदार साबित होता है। बात ये है की हर समय अपना 'बड़ा दिल' दिखा कर उसे दुःख न पहुँचाने के डर से इस बारे में कुछ न कहना और करना सही नहीं है। देर सवेर तुम्हे इसका पछतावा होगा ही- तब तक देर न हो जाये।

सच ये है की अच्छा सेक्स समय और गति का खेल है। अगर उसे उत्तेजना जल्दी होती है तो यह भौतिकता है। लेकिन गति को धीमा करने के लिए कौनसे डॉक्टर ने माना किया है? ये तो खुद उस पर निर्भर है। तो उसे ये नियंत्रण करवाओ।

उसे कई बार खुद से ज़्यादा ध्यान अपने साथी, यानी की तुझ पर देना ज़रूरी है। उनके शरीर के वो हिस्से ढूंढ़ना जहाँ सबसे ज़्यादा संवेदना है। ये नहीं की खुद उत्तेजित हुए नहीं और उछलकूद शुरू! उसका ध्यान तुम पर केंद्रित होना चाहिए, और जब तुम भी पूरी तरह गेम में आ जाओ तो वो खुद पर ध्याना दे सकता है।

देख बेटा, ये सब करना इतना आसान नहीं होगा जितना की कहना है, लेकिन धीरे धीरे कोशिश की जाये तो संभव ज़रूर है। और इसके संभव होने में फायदा दोनों का है।

और अंत में- बातचीत। ये बेहद ज़रूरी है की तू उसे बताए की सेक्स के दौरान तुझे क्या अच्छा लगता है और क्या नहीं। उसे बता की तेरा समां कैसे बंधने लगता है। कहीं कुछ ऐसा छुपा हुआ तो नहीं जिसे वो देख नहीं जिसपर उसका ध्यान नहीं जा रहा है। उसकी मदद कर, कल्याण तो तेरा ही होगा।