एक नए सर्वे के नतीजों पर अगर भरोसा करें तो रिलेशनशिप में रहने वाले पुरुषों कि तुलना में सिंगल पुरुषों में भी अंडकोष के कैंसर का खतरा हो सकता है।
पर प्रकाशित खबर के मुताबिक, सिंगल रहने वालों को टैस्टिकुलर कैंसर हो सकता है। इतना ही नहीं, सर्वे में ये भी पाया गया कि ऑफिस में काम करने वाले अंडकोष की गांठ की जांच कराने तक के बारे में नहीं सोचते।
इस सर्वे में कई चौंकाने वाले परिणाम निकलें। सर्वे के मुताबिक, जो पुरूष टेबलायड (छोटे आकार का अखबार) पढ़ते हैं उनमें ब्रॉडशीट (बड़े साइज़ का अखबार) पढ़ने वालों की तुलना में अंडकोष के कैंसर के खतरे पाए जा सकते हैं।
मेल कैंसर चैरिटी आर्किड द्वारा कराए गए इस सर्वे में तीन हजार लोगों को शामिल किया गया। ये सर्वे यह जानने के लिए किया कि पुरुष अपने अंडकोष के कितना संपर्क में हैं।
परिणामों में ये भी पता चला कि यूके के तो एक तिहाई लोगों को पता ही नहीं है कि अंडकोष के कैंसर की पहचान कैसे की जाए। वहीं तीन में से एक इस बात की जानकारी अपनी मां या पत्नी को देता है लेकिन डॉक्टर के पास नहीं जाता है।
अंडकोष के कैंसर के सामान्य लक्षण है:
अंडकोष के कैंसर के 85 फीसदी मरीजों का इलाज हो जाता है। अगर कैंसर अंडकोष के बाहर भी फ़ैल गया है तो 80 फीसदी मामलों में यह ठीक हो जाता है।
पर प्रकाशित खबर के मुताबिक, सिंगल रहने वालों को टैस्टिकुलर कैंसर हो सकता है। इतना ही नहीं, सर्वे में ये भी पाया गया कि ऑफिस में काम करने वाले अंडकोष की गांठ की जांच कराने तक के बारे में नहीं सोचते।
इस सर्वे में कई चौंकाने वाले परिणाम निकलें। सर्वे के मुताबिक, जो पुरूष टेबलायड (छोटे आकार का अखबार) पढ़ते हैं उनमें ब्रॉडशीट (बड़े साइज़ का अखबार) पढ़ने वालों की तुलना में अंडकोष के कैंसर के खतरे पाए जा सकते हैं।
मेल कैंसर चैरिटी आर्किड द्वारा कराए गए इस सर्वे में तीन हजार लोगों को शामिल किया गया। ये सर्वे यह जानने के लिए किया कि पुरुष अपने अंडकोष के कितना संपर्क में हैं।
परिणामों में ये भी पता चला कि यूके के तो एक तिहाई लोगों को पता ही नहीं है कि अंडकोष के कैंसर की पहचान कैसे की जाए। वहीं तीन में से एक इस बात की जानकारी अपनी मां या पत्नी को देता है लेकिन डॉक्टर के पास नहीं जाता है।
अंडकोष के कैंसर के सामान्य लक्षण है:
- अंडकोष में गांठ या एक गोटी में पानी भर जाना।
- अंडकोष में दर्द या भारीपन
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
- थकान महसूस करना।
अंडकोष के कैंसर के 85 फीसदी मरीजों का इलाज हो जाता है। अगर कैंसर अंडकोष के बाहर भी फ़ैल गया है तो 80 फीसदी मामलों में यह ठीक हो जाता है।